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45 लाख गन्ना किसानों को तोहफा, ₹350/क्विंटल हुआ गन्ना समर्थन मूल्य
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के मन की मुराद पूरी कर दी है। सीएम ने घोषणा की है कि अब तक जो गन्ना ₹325/क्विंटल खरीदा जाता था, वह अब ₹350/क्विंटल में खरीदा जाएगा। इसी तरह ₹315/क्विंटल वाले सामान्य प्रजाति के गन्ने की कीमत अब ₹340/क्विंटल मिलेगी।

यही नहीं, अनुपयुक्त माने जाने वाले करीब 01 फीसदी गन्ने के मूल्य में भी ₹25/क्विंटल बढ़ोतरी की गई है। अब तक ₹305 प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा जाने वाला अनुपयुक्त गन्ना भी अब ₹330/क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने किसानों के बिजली बिल के बकाये पर ब्याज माफ करने की घोषणा की है।

सीएम योगी ने रविवार को लखनऊ स्थित डिफेन्स एक्सपो कार्यक्रम स्थल आयोजित किसान सम्मेलन में यह बड़ी घोषणाएं कीं। किसानों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का आधार किसान और गरीब कल्याण है। गन्ना मूल्य बढ़ोतरी की बहुप्रतीक्षित आस पूरी करते हुए सीएम योगी ने कहा इससे प्रदेश के 45 लाख किसानों की आय में 08 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।

“अंधकार युग” था 2004-2014 तक का काल: योगी
सपा-बसपा सरकारों के कार्यकाल में चीनी मिलों की बंदी की याद दिलाते हुए सीएम ने 2004 से 2014 तक के कार्यकाल को देश और प्रदेश के लिए “अंधकार युग” बताया। उन्होंने कहा कि तब यहां अराजकता और गुंडागर्दी का बोलबाला था।

प्रदेश का किसान आत्महत्या को मजबूर था और गरीब भूख से मर रहा था। सपा शासन काल के मुजफ्फरनगर दंगों की याद दिलाते हुए योगी ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगे में मरने वाला अगर कोई था तो किसान था। किसानों के बेटे थे। हमारी सरकार में कोई दंगा नहीं हुआ।

अगर किसी ने दंगा करने की कोशिश की तो उसकी 07 पीढ़ियां जुर्माना भरते-भरते खप जाएंगी। उत्साह से लबरेज किसानों से मुखातिब योगी ने विपक्ष से पूछा कि जब किसान आत्महत्या कर रहा था, तब सपा-बसपा और कांग्रेस के लोग कहां थे’।

सीएम ने कहा कि पिछली सरकारें किसानों के पेट पर लात मार रही थी। वहीं कांग्रेस की दुर्दशा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि किसानों से छल करने वाली कांग्रेस को जनता ने बोलने लायक नहीं छोड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोगों के गाय-भैंस गायब हो जाते थे, चोरी कर लिए जाते हैं। पर आज स्थिति बदल चुकी है।

08 साल से बकाया था गन्ना मूल्य, हमने किया 1.44 लाख करोड़ का रिकॉर्ड भुगतान
किसान सम्मेलन में योगी ने पिछली सरकारों में गन्ना मूल्य बकाये से लेकर बंद हुईं चीनी मिलों से किसानों की बदहाली की बात भी की। उन्होंने कहा, सपा-बसपा की सरकार में औने-पौने दाम पर चीनी मिलें बेची गईं। 250 करोड़ की चीनी मिलें 25-30 करोड़ रुपये में बिक गई। सपा की सरकार में 11 चीनी मिलें बंद हुई। लेकिन हमने 2017 से आज तक एक भी चीनी मिल बंद नहीं की, बल्कि बंद पड़ी चीनी मिलों को चलाने का काम किया।

कोविड काल में किसानों हित संरक्षित करने की कोशिशों के जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दुनिया परेशान थी। ब्राजील जो चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक है, वहां उद्योग ठप हो गया। महाराष्ट्र की आधी से अधिक चीनी मिलें बंद हो गईं, कर्नाटक की कुछ मिलें बंद हुईं।

लेकिन यूपी के गन्ना विभाग ने सभी 119 चीनी मिलें चलाने का कार्य किया। किसानों के सामने आंकड़े पेश करते हुए सीएम योगी ने कहा कि 2017 में 08 साल पहले के गन्ने का भुगतान बकाया था। जिससे किसान निराश था, परेशान था। पर, हमारी सरकार ने टीमवर्क के साथ दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई। साढ़े चार साल में 01.44 लाख करोड़ का भुगतान किया गया।

हमने पूरा किया संकल्पपत्र का वादा: योगी
किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों से पूछना चाहिए कि उन्होंने किसानों से अन्न खरीदने की व्यवस्था क्यों नहीं की’ जो आज किसानों के हितैषी बने हैं, वो तब कहां थे?’ हमने साढ़े चार वर्षों में रिकॉर्ड खाद्यान्न खरीद की है और कोरोना काल में यूपी के 15 करोड़ लोगों को बिना भेदभाव के मुफ्त राशन दिया।

पहले की सरकारें भी कर सकती थीं, लेकिन उनके पास न तो नीति थी और न ही किसानों के कल्याण की नीयत। हमने पराली जलाने के मामले में किसानों के ऊपर लगे सारे मुकदमे वापस ले लिए हैं। सीएम ने 2017 के चुनाव के भाजपा लोक कल्याण संकल्प पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार बनते ही हमने 86 लाख किसानों का फसली ऋण माफ़ करने का वादा पूरा किया।

वृंदावन योजना सेक्टर-15 स्थित मैदान में आयोजित इस विशाल किसान सम्मेलन में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा, सांसद राधा मोहन सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीराम चौहान एवं राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत की विशिष्ट मौजूदगी रही।

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