‘शिव’राज विवशताओं का विष पीने को विवश
जया तिवारी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। आधिकारिक जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश की प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सुबह 11 बजे यहां राजभवन में एक सादे समारोह में मंत्रिमंडल के नये मंत्रियों को शपथ दिलाएंगी। यह चौहान के मंत्रिमंडल की पहला विस्तार होगा और इसमें करीब दो दर्जन मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है।
माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में 27 नए मंत्री शामिल होंगे, जिनमें सिंधिया समर्थकों का दबदबा रहेगा। कल उनके ‘विष का घूंट’ पीने के बयान को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। उन्होंने कहा था कि,’ मंथन से अमृत निकलता है, विष तो शिव पी जाते हैं’ मंत्रिमंडल विस्तार से पहले शिवराज के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। क्या शिवराज आज हो रहे मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया समर्थकों के दबदबे से दुखी हैं?
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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल के विस्तार की गर्माहट के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बयान के मायने खोजे जा रहे हैं कि ‘मंथन से निकला विष शिव पी जाते हैं।’
उनके इस बयान पर तंज कसते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा था, ‘हां, विष पीने की शुरुआत तो कल से ही होने लगेगी।’ राज्य में तख्तापलट हुए तीन माह से ज्यादा हो गए हैं। इतनी लंबी अवधि में भी पूरा मंत्रिमंडल नहीं बन पाया। राज्य में कांग्रेस से बगावत करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोग से बनी सरकार में उनके समर्थकों को समायोजित करना भाजपा की मजबूरी है।
बता दें कि शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं। इससे पहले, सत्ता की सारी ताकत और फैसले उनके हाथ में हुआ करते थे, मगर इस बार ऐसा नहीं है, क्योंकि बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं है और कांग्रेस छोड़कर आए बागियों के कारण ही उनकी सरकार बनी है। उन पर दूसरे दल से आए बागियों के साथ अपनों को भी संतुष्ट करने की जिम्मेदारी है।
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इतना ही नहीं, जो उनके कभी करीबी हुआ करते थे, वे भी अब आंखें दिखा रहे हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय नेतृत्व भी चौहान पर लगाम कसने में कोई हिचक नहीं दिखा रहा है। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों ने शिवराज को चारों तरफ से घेरे में लेने की कोशिश की है। इसका लाभ कई राजनेता भी उठाने में लगे हैं।
राजनीतिक के जानकार और शिवराज को करीब से जानने वालों का कहना है कि यह पहला मौका है, जब उन्होंने अपने मन की बात इस तरह व्यक्त किया है। इसका आशय साफ है कि चौहान अपने आपको असहज महसूस कर रहे हैं। अबकी बार उन्हें आजादी नहीं है, बल्कि मंत्रिमंडल में कई ऐसे सदस्यों को भी जगह देने को विवश हैं, जिन्हें वे नहीं चाहते। यानी ‘शिव’राज विवशताओं का विष पीने को विवश हैं। ये स्थितियां कम से कम पार्टी के लिए अच्छा संदेश देने वाली नहीं हैं।
देर रात तक चलता रहा मंथन
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में करीब दो दर्जन मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मार्च माह में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नौ पूर्व विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने वाले मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा बुधवार देर रात तक मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी के विभिन्न विधायकों से चर्चा करते रहे।
बताते चले कि चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान ने 29 दिन तक अकेले ही सरकार चलाते रहे। बाद में 21 अप्रैल को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन कर सके थे, जिनमें कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आये पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट एवं गोविन्द सिंह राजपूत शामिल हैं।
दूसरी ओर राज्यसभा सांसद बनने के बाद पहली बार भोपाल आ रहे हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, भोपाल पहुंचने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे पहले राजभवन जाएंगे और मंत्रियों के शपथ ग्रहण में शामिल होंगे।
बीजेपी से ये लोग लेंगे शपथ
- रामखेलावन पटेल
- अरविंद भदौरिया
- बृजेंद्र प्रताप सिंह
- विश्वास सारंग
- इंदर सिंह परमार
- उषा ठाकुर
- भरत सिंह कुशवाह
- मोहन यादव
- प्रेम सिंह पटेल
- जगदीश देवड़ा
- विजय शाह
- यशोधरा राजे सिंधिया
- ओमप्रकाश सकलेचा
- रामिकशोर कांवरे
- गोपाल भार्गव
- भूपेंद्र सिंह
सिंधिया खेमे से ये लोग लेंगे शपथ
- प्रभुराम चौधरी
- इमरती देवी
- प्रद्युमन सिंह तोमर
- राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव
- ओपीएस भदौरिया
- गिर्राज दंडोतिया
- सुरेश धाकड़
- बृजेंद्र सिंह यादव
कांग्रेस से आए लोग
- बिसाहूलाल सिंह
- हरदीप सिंह डंग
- एंदल सिंह कंसाना
कैबिनेट विस्तार में संभावित नामों की सूची को देख कर यह तो साफ है कि इस बार सीएम शिवराज सिंह चौहान की नहीं चली है। उनके पुराने करीबियों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। वहीं, सिंधिया की पूरी मांग मान ली गई है। उन्होंने पार्टी को जितने भी नाम सुझाए थे, सभी को स्वीकार लिया गया है। उन नामों पर सहमति बन गई है।