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RBI की निगरानी के दायरे में आए को-ऑपरेटिव बैंक
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी कर दिया है। इसके साथ ही सभी शहरी और बहु-राज्यीय को-ऑपरेटिव बैंक अब रिजर्व बैंक (RBI) की निगरानी के दायरे में आ गए हैं।

इन को-ऑपरेटिव बैंकों के डिपोजिटर्स के हितों की रक्षा के लिए नियमों में हाल में संशोधन किया गया है। सरकार की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि इस अध्यादेश से बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन सुनिश्चित हुआ है जो सहकारी बैंकों पर लागू है।

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बता दें कि अध्यादेश से बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन सुनिश्चित हुआ है जो सहकारी बैंकों पर लागू है। अध्यादेश का उद्देश्‍य बेहतर गवर्नेंस एवं निगरानी सुनिश्चित करके जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और सहकारी बैंकों को मजबूत करना है।

इसके लिए अन्य बैंकों के संबंध में पहले से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास उपलब्ध अधिकारों के दायरे में सहकारी बैंकों को भी लाया जाएगा, ताकि प्रोफेशनल रुख अपनाकर सुव्यवस्थित बैंकिंग नियमन सुनिश्चित किया जा सके और इसके साथ ही पूंजी तक उनकी पहुंच को भी संभव किया जा सके।

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इन संशोधनों से राज्य सहकारी कानूनों के तहत सहकारी समितियों के राज्य पंजीयकों के मौजूदा अधिकारों में कोई कमी नहीं आई है। ये संशोधन उन प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) या सहकारी समितियों पर लागू नहीं होते हैं, जिनका प्राथमिक उद्देश्य एवं प्रमुख व्यवसाय कृषि विकास के लिए दीर्घकालिक वित्त मुहैया कराना है, और जो ‘बैंक’ या ‘बैंकर’ अथवा ‘बैंकिंग’ शब्द का उपयोग नहीं करते हैं तथा जो चेकों के अदाकर्ता के रूप में कार्य नहीं करते हैं।

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अध्यादेश के जरिए बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन किया गया है, ताकि आम जनता, जमाकर्ताओं एवं बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा करने और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके। यहां तक कि संबंधित बैंकिंग कंपनी के कामकाज पर अस्‍थायी स्‍थगन या रोक लगाने का आदेश जारी किए बिना ही उसके पुनर्गठन अथवा विलय की योजना बनाना संभव हो सकेगा, जिससे कि वित्तीय प्रणाली में किसी भी तरह के व्यवधान को पूरी तरह से टाला जा सके।

देशभर में करीब 1,482 शहरी को-ऑपरेटिव बैंक हैं और 58 बहु-राज्यीय को-ऑपरेटिव बैंक हैं। इन बैंकों में 8.6 करोड़ लोगों के पैसे जमा हैं। पंजाब और महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) सहित कई अन्य को-ऑपरेटिव बैंकों में हाल में सामने आई अनिश्चितताओं को देखते हुए यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। 

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