कोरोना की तरह फ्लू में भी सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता चली जाती है
सरकार सूंघने या स्वाद लेने की क्षमता अचानक खत्म होने को कोविड-19 की जांच का एक आधार बनाने पर मंथन कर रही है। इस बात पर चर्चा हो रही है कि सूंघने-स्वाद लेने की क्षमता खत्म होने को कोरोना का एक लक्षण माना जाए। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पिछले रविवार कोविड-19 पर हुई राष्ट्रीय कार्य बल की बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई थी। लेकिन इस पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। स्वास्थ्य मंत्रालय में एक सूत्र ने कहा-बैठक में कुछ सदस्यों ने कोविड-19 की जांच में सूंघने या स्वाद ले पाने की क्षमता के चले जाने को एक कसौटी के तौर पर शामिल करने का सुझाव दिया। इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि कई मरीजों में इस तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं।
एक विशेषज्ञ के अनुसार भले ही यह लक्षण विशिष्ट तौर पर कोविड-19 से जुड़े हुए नहीं हैं क्योंकि फ्लू या इंफ्लुएंजा में भी व्यक्ति की सूंघने या स्वाद ले पाने की क्षमता चली जाती है। लेकिन ये बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य संस्थान, रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र (सीडीसी) ने मई की शुरुआत में कोविड-19 के नए लक्षणों में ‘सूंघने या स्वाद लेने की क्षमता के जाने’ को शामिल किया था।
इंफ्लुएंजा जैसे लक्षण पर भी जांच-
कोविड-19 के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की 18 मई को जारी संशोधित जांच रणनीति के मुताबिक इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षणों के साथ अन्य राज्यों से लौटने वालों और प्रवासियों में ऐसे लक्षण नजर आने के बाद सात दिन के अंदर जांच करनी होगी।
आईसीएमआर ने कहा था कि अस्पताल में भर्ती मरीजों और कोविड-19 की रोकथाम के लिए अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों में आईएलआई जैसे लक्षण विकसित होने पर उनकी भी आरटी-पीसीआर के जरिये कोविड-19 की जांच होगी।