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शराब और धूम्रपान के शौकीन संजीदा हो जाएं। ऐसे लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा सामान्य लोगों से ज्यादा रहता है। समय पर ब्रेन ट्यूमर का इलाज कराकर मरीज सामान्य लोगों की तरह जीवन जी सकते हैं।

सोमवार को ब्रेन ट्यूमर दिवस है। लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह के मुताबिक तम्बाकू में निकोटीन होता है। इसके सेवन से शरीर में तमाम तरह की गैस का भी स्राव होता है। इसी तरह शराब में भी तमाम तरह के कैमिकल होते हैं। जो जेनेटिक स्तर पर जाकर कोशिकाओं में तब्दीली लाते हैं। इससे कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि हो सकती है। जो ट्यूमर की वजह से बन सकता है।

केजीएमयू न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. अवधेश यादव के मुताबिक दिमाग में होने वाले सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते हैं। पर, ट्यूमर को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि रेडिएशन से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि दो प्रकार के ट्यूमर होता है। पहले कैंसर और दूसरा बिना कैंसर वाले ट्यूमर। ब्रेन ट्यूमर की पहचान सिटी स्कैन जांच से की जा सकती है। समय पर इलाज से मरीज ट्यूमर से निजात पा सकते हैं।

पूरे शरीर होता है प्रभावित : केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर सिर्फ मस्तिष्क को ही प्रभावित नहीं करता। बल्कि इसका असर पूरे शरीर पर होता है।बुजुर्गों में ट्यूमर कैंसर बन सकता है। 20 से 40 साल के लोगों को ज्यादातर कैंसर रहित और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादातर कैंसर वाले ट्यूमर होने की आशंका रहती है। एक लाख में 10-15 लोगों को ब्रेन ट्यूमर होता है।

लोहिया संस्थान में ब्रेन ट्यूमर का इलाज आसान होगा। डॉ. डीके सिंह के मुताबिक संस्थान में गामा नाइफ तीन सेंटीमीटर से छोटे ट्यूमर पर सटीक वार करेगा। सिर के ऐसे हिस्से जहां ऑपरेशन संभव नहीं होगा है उसमें गामा नाइफ से ऑपरेशन किया जा सकता है। इनमें खोपड़ी खोले बिना ही इलाज हो सकेगा। संस्थान में गामा नाइफ प्रस्तावित है। 40 करोड़ की मशीन का बजट पास होने की प्रक्रिया है।

लक्षण

’ उल्टी ’ चक्कर ’ बेहोशी ’ सिरदर्द जो कुछ हफ्ते या कुछ महीने में शुरू हो रहा है ’ बार-बार सिर दर्द की दवा खाने की जरूरत पड़ रही हो ’ अचानक आंखों की रोशनी कमजोर होना।

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