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आत्मनिर्भर भारत: निजी क्षेत्र के लिए खुला रास्ता
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत शनिवार को चौथे किस्त की घोषणाएं करते हुए कई बड़े सुधारों का ऐलान किया। निर्मला सीतारमण ने निवेश के जरिए ग्रोथ बढ़ाने के लिए प्राइवेट सेक्टर के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। कोयला खनन और स्पेस सेक्टर में सरकार के एकाधिकार को खत्म करके प्राइवेट सेक्टर को आमंत्रित किया है। इसके अलावा खनिज, बिजली, रक्षा उत्पादन, नागरिक विमानन सेक्टर के लिए भी बड़े सुधारों की घोषणा की है।

निवेश पॉलिसी में सुधार
वित्त मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए निवेश में नीतिगत सुधार किए जाएंगे। सचिवों के अधिकारप्राप्त समूह के जरिए निवेश योजनाओं को जल्द मंजूरी दी जाएगी। हर मंत्रालय में प्रॉजेक्ट डिवेलपमेंट सेल बनाएं जाएंगे। ये निवेशकों और राज्य सरकारों से समन्व्य करेंगे। राज्यों की रैकिंग की जाएगी। निवेश के लिए उनकी योजनाएं कितनी आकर्षक हैं इनकी रैकिंग की जाएगी। न्यू चैंपियन सेक्टर को प्रत्साहित किया जाएगा। देश के 3376 औद्योगिक क्षेत्र 5 लाख हेक्टेयर जमीन में हैं। इन्हें मैप किया जाएगा, ताकि निवेशकों को जल्द जमीन उपलब्ध कराए जा सकें।

कोयला सेक्टर के लिए सुधार
वित्त मंत्री ने कहा कि कोल सेक्टर में कॉमर्शल माइनिंग को मंजूरी दी जाएगी। कोयला क्षेत्र में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा।  अभी भी भारत काफी मात्रा में कोयला आयात करता है। हम अपनी क्षमता का दोहन नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए इसमें बदलाव किया जाएगा। कोयला माइनिंग के लिए नीलामी प्रक्रिया होगी। 50 नए ब्लॉक्स नीलामी के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर केंद्र सरकार 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। 

खनिज खनन में निजी निवेश 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि खनिज खनन सेक्टर में सुधार लाए जाएंगे। निजी निवेश को बढ़ाया जाएगा। एक पारदर्शी नीलामी तरीके से 500 खनिज ब्लॉक उपलब्ध कराए जाएंगे। बॉक्साइट और कोल मिनरल ब्लॉक के लिए संयुक्त निलामी को बल दिया जाएगा। इससे बिजली खर्च में कमी आएगी। इससे खनन बढ़ेगा और रोजगार सृजन होगा। मिनरल इंडेक्स बनाया जाएगा।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता
वित्त मंत्री ने कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के लिए मेक इन इंडिया को बल देना जरूरी है। भारत ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। हथियारों की लिस्ट को नोटिफाइ किया जाएगा और आयात पर बैन लगाया जाएगा। साल दर साल भारत में ही हथियारों का उत्पादन बढ़ाया जाएगा और जो पुर्जे आयात करने पड़ते हैं उनका भी उत्पादन देश में ही किया जाएगा। इसके लिए अलग से बजट दिया जाएगा। इससे रक्षा आयात खर्च होगा और उन कंपनियों को लाभ होगा जो भारत में सेना के लिए हथियार बनाएंगी। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ऑर्गनाइजेशन को निगमीकृत किया जाएगा। वित्त मंत्री ने जोर दिया कि कामकाज में सुधार के लिए निगमीकृत किया जाएगा, निजीकरण नहीं किया जाएगा। इसे शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया जाएगा। आम लोग इसके शेयर खरीद सकेंगे। रक्षा उत्पादन में एफडीआई सीमा को 49 पर्सेंट से बढ़ाकर 74 पर्सेंट किया जा रहा है। 

नागरिक विमानन सेक्टर 
वित्त मंत्री ने कहा कि अभी केवल 60 पर्सेंट हवाई क्षेत्र नागरिक विमानों के लिए है। इसलिए उन्हें लंबे रास्ते लेने पड़ते हैं और ईंधन अधिक खर्च होता है। इसे सरल किया जाएगा ताकि विमानों को समय में कमी आएगी और उनका खर्च बचेगा। इससे नागरिक विमानन सेक्टर को एक हजार करोड़ रुपए की कटौती होगी। इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा। एयरपोर्ट्स पर सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 3 एयरपोर्ट पीपीपी मॉडल पर मेंटिनेंस के लिए दिया गया है। ऐसे 6 और एयरपोर्ट की पहचान की गई है और नीलामी के जरिए इन्हें प्राइवेट सेक्टर को सौंपा जाएगा। पहले और दूसरे चरण में 12 एयरपोर्ट्स में निजी सेक्टर 13 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा।

इसके अलावा एयरक्राफ्ट मैंटिनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) का ग्लोबल हब बनाया जाएगा। इससे नागरिक और सैन्य विमानों की मरम्मत के लिए इन्हें विदेश जाना पड़ता है। अब इनके देश में मरम्मत की व्यवस्था की जाएगी। बड़े इंजन निर्माता भारत में यूनिट लगाएंगे। इससे सभी एयरलाइंस के लिए खर्च में कटौती होगी।   

बिजली क्षेत्र में सुधार
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण किया जाएगा। इसके अलावा टैरिफ पॉलिसी में सुधार किए जाएंगे। इससे उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा होगी। उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराना होगा। विद्युत उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से दिया जाएगा और स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि इन सुधारों को राज्य सरकारें भी लागू करेंगी।

सामाजिक बुनियादी ढांजे के लिए 8100 करोड़ रुपए
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सामाजिक बुनियादी ढांजे में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने के लिए बदलाव किए जाएंगे। वैबिलिटी गैप फंडिंग में 30 फीसदी केंद्र और 30 फीसदी राज्य सरकारें देंगी। इससे इस क्षेत्र को बल मिलेगा। लेकिन बाकी सेक्टर्स में 20-20 पर्सेंट ही रहेगा। इसके लिए 8100 करोड़ रुपए का प्रवाधान किया गया है। 

स्पेस एक्टिविटी में प्राइवेट सेक्टर को प्रवेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय स्पेस सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोला जा रहा है। उन्हें भी इस क्षेत्र में भागीदार बनाया जाएगा। प्राइवेट कंपनियों को भी बराबरी का अधिकार होगा। वे भी सैटेलाइट लॉन्च कर पाएंगी। निजी क्षेत्र की कंपनियों को इसरो की सुविधाओं का इस्तेमाल करने का मौका दिया जाएगा। भविष्य में ग्रहों की खोज या दूसरे ग्रहों की यात्रा के लिए प्राइवेट सेक्टर को आमंत्रित किया जाएगा। 

एटोमिक एनर्जी से संबंधित सुधार
निर्मला सीतारमण ने कहा कि कैंसर के क्षेत्र में भारत ने दुनियाभर को दवाएं भेजी हैं। मेडिकल आइसोटॉप का उत्पादन करने के लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाएगा और रिसर्च रिएक्टर की स्थापना की जाएगी। इससे मानवता की सेवा को बढ़ावा मिलेगा। पीपीपी मोड में एकीकृत खाद्य संरक्षण केंद्र विकीरण टेक्नॉलजी के माध्यम से बनाएंगे ताकि कृषि क्षेत्र को इसका लाभ मिल सके। इसके अलावा स्टार्टप इकोसिस्टम को न्यूक्लियर सेक्टर के साथ जोड़ने जा रहे हैं।  
 

वित्त मंत्री की पहले की घोषणाएं 
इससे पहले निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को खेती और इससे जुड़ी गतिविधियों को लेकर 11 अहम कदमों के ऐलान किए थे। इससे पहले वह एमएसएमई सेक्टर, टैक्सपेयर्स, सैलरीड क्लास, फेरीवाले और प्रवासी मजदूरों के लिए अहम घोषणाएं कर चुकी हैं। आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की तीसरी किस्त में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिये 1.63 लाख करोड़ रुपये के विभिन्न उपायों की घोषणा की। उन्होंने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करने और अनाज, दाल, खाद्य तेल, तिलहन, आलू, प्याज जैसी रोजमर्रा के उपभोग वाली वस्तुओं को इस कानून के दायरे से मुक्त करने की भी घोषणा की। इससे किसानों को अपनी उपज को अपनी पसंद के बाजार में बेचने की सुविधा मिलेगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना वायरस से शिथिल पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फुंकने के लिए कुल 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। यह राशि देश की जीडीपी का 10 प्रतिशत के करीब बैठती है। इसमें उस सहायता पैकेज की 1.70 लाख करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है जिसकी घोषणा 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू करने के कुछ ही दिन में कर दी गई थी।

इसके बाद रिजर्व बैंक ने भी विभिन्न मौद्रिक उपायों के जरिये करीब 5.6 लाख करोड़ रुपये के मौद्रिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की। इसके बाद बुधवार और गुरुवार को 9.10 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहना पैकेज की घोषणा की गई जिसमें किसानों को सस्ता कर्ज, एनबीएफसी को नकदी और बिजली वितरण कंपनियों को संकट से उबारने के लिये सहायता की घोषणा की गई। शुक्रवार को करीब 1.63 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया गया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पहले चरण में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मजबूती देने के लिए करीब 6 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। वित्त मंत्री ने एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव, ढ़ांचा गत और आवास क्षेत्र की परियोजनाओं को पुरा करने लिए ठेकेदारों और डेवलपर को बिना हर्जाने के छह माह का अतिरिक्त समय देने, टीडीएस और टीसीएस कटौती की दर में चौथाई कमी करने, आयकर रिटर्न जमा करने का समय नवंबर तक बढ़ाने , ईपीएफओ अंशदान में सहूलियत की भी घोषणा की। एमएसएमई क्षेत्र के लिए बिना गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को और अधिक नकदी उपलब्ध कराने के उपाय जैसी कई घोषणाएं की गई थीं।

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