‘रिया दीपसी’ को ऐसे मिला ‘गांधारी’ का रोल, ‘महाभारत’ के इस सीन के लिए थी उत्सुक
चारु खरे
महाभारत में ‘गांधारी’ सभी मुख्य किरदारों में एक रहीं हैं. उनके त्याग की महिमा का वर्णन आज भी किया जाता है. ऐसे में इस किरदार को परदे पर निभाना और भी ज़्यादा मुश्किल हो जाता है. लेकिन 17 साल की उम्र में ‘रिया दीपसी’ ने ‘गांधारी’ का रोल प्ले किया और देखते ही देखते लोगों के दिलों में अपनी ख़ास जगह बना ली. रिया उस वक्त पढ़ाई कर रही थी लेकिन एक्टिंग के लिए वह हमेशा से उत्सुक रहती थीं. ‘महाभारत’ में कैसे मिला रिया को ‘गांधारी’ का रोल और उनकी आंखों की पट्टी का क्या था राज, ये जानने के लिए पढ़ें ‘रिया दीपसी’ से बातचीत के कुछ मुख्य अंश…
सवाल – आंखों पर पट्टी बांधकर ब्लॉकिंग सेट पर घूमना कितना मुश्किल होता था, क्या कभी किसी ने प्रैंक किया ?
जवाब – (हँसते हुए ) प्रैंक तो नहीं किया और मैं लगातार पट्टी नहीं पहनती थी, जैसे ही एक्शन खत्म होता था मैं पट्टी उतार देती थी. लेकिन जब मुझे लगा मैं इसके साथ सहज हो गई हूँ तो मैं खुद चल देती थी. ऐसा बहुत बार हुआ है जब मुझे लेफ्ट या राइट जाना होता था तो मैं लाइट से टकरा जाती थी. वैसे मैंने मैनेज कर लिया था. लेकिन शुरुआत के दो महीने इससे इतनी उलझन होती थी, सांस लेने में दिक्कत होने लगती थी. हालांकि मेरी जो पट्टी थी, वो एकदम डार्क कलर की नहीं थी, वो हलके मैरून कलर की थी तो जब बहुत ज्यादा लाइटिंग होती थी तो मुझे ये पता चल जाता था कि लाइट है, अब मुझे रुक जाना चाहिए। कभी-कभी मैं दूसरे की तरफ देखकर बोलने लगती थी तो मैं डायरेक्टर्स और क्रिएटिव डायरेक्टर्स मुझे बहुत हेल्प करते थे कि रिया कैमरा इस साइड है इधर देखो, या कमांड देते थे डायरेक्शन का.
सवाल : आपने 17 साल की उम्र में ‘गांधारी’ जैसा मुश्किल रोल प्ले किया, पहला ख्याल क्या था ?जवाब : मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं कैसे इस किरदार को करुँगी, शायद तब तक मैंने इसकी गंभीरता को नहीं समझा था. लेकिन मैं एक थियेटर आर्टिस्ट भी हूँ. मैंने 3 साल तक थियेटर किया। मैं शेयर करना चाहूंगी कि महाभारत में गांधारी का रोल मुझे एकदम आखिरी में मिला। मैं दूसरे रोल के लिए तैयारी कर रही थी. जो कि कैमियो था. बस मैं काफी उत्सुक थी. मैं उस सीन के लिए काफी प्रभावित थी, जब गांधारी कृष्ण को श्राप देती हैं, मैंने इस सीन को थियेटर में प्ले किया थाा. लेकिन फिर मुझे पता चला कि ये सीन तो एकदम आखिरी में था. इससे पहले भी काफी चैलेंज हैं.
सवाल : क्या शूटिंग के दौरान आप आँखों पर पट्टी बांधकर सो जाती थी ?जवाब : नहीं ! (हँसते हुए ) ये बिलकुल झूठ है. ये अफवाह शफ़क़ नाज़ ने फैलाई है. कोई पट्टी के अंदर कैसे सो सकता है. हालांकि जब नींद आती थी मैं रूम में जाकर आराम से सोती थी. पर पट्टी के अंदर नहीं।
सवाल : किसी पहले के किरदार की छवि को तोड़ना कितना मुश्किल होता है ?जवाब : मैं किसी की छवि नहीं तोड़ना चाहती थी. मैं बस अपनी छवि बनाना चाहती थी. जैसे कहते हैं मुझे दूसरी दीपिका पादुकोण नहीं बनना, मुझे पहली रिया दीपसी बनना है. हालांकि वो ‘गांधारी’ बेहतर थी और हमेशा रहेंगी। मुझे बहुत प्यार मिलता है लोगों से, मुझे समझ नहीं आता कैसे सबका धन्यवाद करूँ। मुझे काफी अच्छा लगता है.
सवाल : क्या आज की महिलाओं को गांधारी जैसा होना चाहिए?जवाब : मुझे नहीं लगता आज की महिलाओं को गांधारी जैसा होना चाहिए। क्योंकि अगर गांधारी वो निर्णय न लेती तो शायद वो बहुत कुछ रोक सकती थीं. वो अपने भाई, बेटे, पति सबका गलत होना रोक सकती थीं. लेकिन ‘महाभारत’ एक डेस्टिनी थी, तो हर कोई मोहरा बनता गया. युधिष्ठिर को देख लीजिए, उन्हें धर्म का गुरु माना जाता है. इसके बावजूद वह डाइस गेम में सबकुछ हार गए. क्यों लगाना है आज की महिलाओं को पट्टी, क्यों सहना है अपमान, बिलकुल नहीं।
सवाल : कोई ऐसा सन्देश, जो आप फैंस को देना चाहेंगी ? जवाब : वक्त बुरा चल रहा है, पर बीत जाएगा लेकिन हिम्मत न हारें, सब ठीक हो जाएगा। इसके अलावा कुछ न कुछ करते रहें। घर पर मस्ती करें या हॉटस्टार पर दोबारा से ‘महाभारत’ देख लें. बस सुरक्षित रहें और इतना सारा प्यार और सम्मान देने के लिए आप आप सब की आभारी हूँ.
(चारु खरे के साथ रिया दीपसी की फ़ोन पर हुई बातचीत के आधार पर )