टिकट पर राजनीति कौन कर रहा है?
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन 2 को दो हफ्तों के लिए आगे बढ़ा दिया है। सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर लौटने की मंजूरी दी है। जिसके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेने भी चलाई गई हैं। अब इन प्रवासी मजदूरों के किराए को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान किया है कि इन मजदूरों के टिकट का पैसा कांग्रेस वहन करेगी। तो वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अन्य राज्यों से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौटने वाले मजदूरों को किराए की राशि प्रदेश सरकार लौटा देगी। इसके लिए उन्हें प्रशासन की ओर से बनाए गए क्वारनटीन सेंटर पर 21 दिन क्वारनटीन में रहना होगा।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि मजदूर राष्ट्र निर्माता हैं। मगर आज वे दर दर ठोकर खा रहे हैं-यह पूरे देश के लिए आत्मपीड़ा का कारण है। जब हम विदेश में फँसे भारतीयों को हवाई जहाज से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु खर्च कर सकते हैं।
इसके बाद उन्होंने दूसरा ट्वीट किया। उन्होंने आगे लिखा कि ..जब रेल मंत्री पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रु दे सकते हैं तो फिर मजदूरों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि घर लौटने वाले मजदूरों की रेल यात्रा का पूरा खर्च उठाएगी
घर जाने की आस लिए लगभग 40 दिनों से बेरोजगार बैठे हुए भूखे मजदूरों के टिकट पर हर राजनीतिक पार्टी सियासत चमकाने की कोशिश में लगी हुई हैं। दरअसल, विपक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि रेलवे की ओर से जो पहले आदेश आया था, उसमें बताया गया कि मजदूर टिकट का पैसा राज्य सरकार को देगी, जिसके बाद राज्य रेलवे को सौंपेंगे। ये बवाल रेलवे की एक चिट्ठी पर हुआ, जिसके बाद कई राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े कर रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रेलवे से अपील करते हुए कहा कि मजदूरों से टिकट का पैसा ना लें, ऐसी ही अपील कई अन्य राज्य सरकारों ने भी की।
कांग्रेस के बाद लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने भी इस मसले पर मोदी सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि जो मजदूर पिछले दो महीनों से कुछ कमाई नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें ट्रेन टिकट का खर्च उठाने को कहा जा रहा है। जब केंद्र की ओर से कोई मदद ही नहीं मिल रही है तो राज्य सरकारें भी इस खर्च को कैसे उठाएंगी।
हालांकि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘सरकार ने प्रवासी मजदूरों पर कहा कि हमने लॉकडाउन के दौरान सभी लोगों को वे जहां हैं, वहीं रहने की सलाह दी, लेकिन विशेष स्थिति में ट्रेनों को चलने की अनुमति दी। केंद्र ने प्रवासी मजदूरों पर कहा कि हमने मजदूरों से किराया वसूलने की बात कभी नहीं की, इसका 85 प्रतिशत भार रेलवे ने जबकि 15 प्रतिशत बोझ राज्य सरकारों ने उठाया।’
लॉकडाउन के कारण फंसे श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर भाड़ा लिए जाने की आलोचना होने के बीच सूत्रों ने सोमवार को कहा कि अब तक चलायी गयी 34 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए महाराष्ट्र को छोड़कर विभिन्न राज्य सरकारों ने भुगतान किया है। कई विपक्षी दलों ने मांग की है कि प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन टिकट के पैसे नहीं लिए जाने चाहिए।
वहीं कांग्रेस ने ऐसे प्रवासियों के लिए भुगतान करने की पेशकश की। रेल किराए को लेकर पैदा विवाद के बीच भाजपा ने कहा कि रेलवे पहले ही यात्रा लागत का 85 प्रतिशत वहन करते हुए सब्सिडी पर टिकट मुहैया करा रहा है। रेलवे ने इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। लेकिन अनौपचारिक रूप से कहा गया कि यह एक “राजनीतिक लड़ाई” है।
अधिकारियों का कहना है कि रेलवे राज्य सरकारों से इन विशेष ट्रेनों के लिए केवल मानक किराया वसूल रहा है जो कुल लागत का सिर्फ 15 प्रतिशत है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रेलवे सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए प्रत्येक कोच में बर्थ खाली रखते हुए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है। ट्रेनें गंतव्य से खाली लौट रही हैं।
रेलवे द्वारा प्रवासियों को मुफ्त भोजन और बोतलबंद पानी दिया जा रहा है। हम अब तक 34 ऐसी ट्रेनें चला चुके हैं और आगे भी चलाते रहेंगे। हमारे एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) में कहीं भी, हमने नहीं कहा है कि यात्रा करने वाले प्रवासियों से किराया लिया जाएगा।’
सूत्रों ने बताया कि राजस्थान, तेलंगाना और झारखंड जैसे राज्यों ने श्रमिकों की यात्रा के लिए भुगतान किया है। राजस्थान, तेलंगाना जैसे राज्यों से विशेष ट्रेनें चली हैं और झारखंड तक ट्रेनें पहुंची हैं। सूत्रों ने कहा कि गुजरात सरकार ने यात्रा पर आने वाले खर्च का एक हिस्सा देने के लिए एक एनजीओ को संबद्ध किया है। उन्होंने कहा कि केवल महाराष्ट्र सरकार यात्राओं के लिए प्रवासी श्रमिकों से पैसे ले रही है।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राज्य से बाहर जाने प्रवासियों की यात्रा का खर्च वहन किए जाने का अनुरोध किया है। राउत ने रविवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल को भी पत्र लिखकर अनुरोध किया कि रेलवे राज्य से प्रवासियों के परिवहन का खर्च वहन करे। इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एक वीडियो बयान में कहा कि राज्य सरकार प्रवासियों के परिवहन के लिए रेलवे को पैसे दे रही है। उन्होंने कहा, ‘किसी भी प्रवासी को अपनी यात्रा के लिए पैसे देने की आवश्यकता नहीं है।