निज़ामुद्दीन मरकज मामले में कौन बोल रहा है झूठ
दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में कोरोना का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। जानकारी के मुताबिक निजामुद्दीन मरकज से आज तड़के 860 लोगों को निकालकर अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचाया गया है। कुल मिलाकर इस मरकज में लगभग 1400 सौ लोग ठहरे हुए थे, सभी को इस मरकज से निकाल दिया गया है, ये सभी लोग एक धार्मिक समारोह में भाग लेने यहां आए हुए थे।
वहीं इस मामले के सामने आने के बाद दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने आयोजको के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही। दूसरी ओर तब्लीग़ी जमात के तरफ से प्रेस स्टेटमेंट जारी कर अपना पक्ष रखा गया है।
इस प्रेस स्टेटमेंट में कहा गया है तब्लीग़ी जमात 100 साल से पुरानी संस्था है जिसका हेडक्वार्टर दिल्ली की बस्ती निज़ामुद्दीन में है। यहां देश और विदेश से लोग लगातार सालों भर आते रहते है। ये सिलसिला लगातार चलता है जिसमें लोग दो दिन, पांच दिन या 40 दिन के लिए आते है। लोग मरकज में ही रहते है। और यहीं से तबलीग का काम करते है।
जब भारत में जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ उस वक्त बहोत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को प्रधान मंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। उसी दिन मरकज को बन्द कर दिया गया। बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा।
21 मार्च से ही रेल सेवाएं बन्द होने लगी थी। इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था।
फिर भी दिल्ली और आस पास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।
जनता कर्फ्यू के साथ साथ 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली के मुख्य मंत्री ने लॉक डाउन का ऐलान किया। इस वजह से बस या निजी वाहन भी मिलने बन्द हो गए। लोगों को उनके घर भेजना मुश्किल हो गया। ये लोग पूरे देश से आए हुए थे।
प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री का आदेश मानते हुए हम लोगों ने लोगों को बाहर भेजना सही नहीं समझा। उनको मरकज में ही रखना बेहतर था।
24 मार्च को अचानक SHO निज़ामुद्दीन ने हमे नोटिस भेजा की हम धारा 144 का उलंघन कर रहे है।
हमने उसी दिन उनको जवाब दिया की मरकज को बन्द कर दिया गया है। 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है। अब 1000 बच गए हैं जिनको भेजना मुश्किल है क्योंकि ये दूसरे राज्यों से आए है।
हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी है।
हमने SDM को अर्जी दे कर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा। ताकि लोगों को घर भेजा जा सके। हमे अभी तक को पास जारी नहीं हुई है।
25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल कि टीम अाई। उन्होंने लोगों कि जांच की।
26 मार्च को हमें SDM के ऑफिस में बुलाया गया और DM से भी मुलाकात कराया गया। हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा।
27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब होने की वजह से मेडिकल जांच के लिए लेे जाया गया।
28 मार्च को SDM और WHO की टीम 33 लोगों को जांच के लिए लेे गई जिन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया।
इसके बाद 28 मार्च को ACP लाजपत नगर के पास से नोटिस आया कि हम गाइडलाइंस और कानून का उलंघन कर रहे है। हमने इसका पूरा जवाब दूसरे ही दिन भेज दिया।
30 मार्च को अचानक ये खबर सोशल मीडिया में फेल गई की कोराना के मरीजों की मरकज में रखा गया है और टीम वहा रेड कर रही है। मुख्य मंत्री ने भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए।
तब्लीगी जमात के प्रेस स्टेटमेंट जारी कर अपनी तो रखी है लेकिन इस बात के बारे में नही बताया कि विदेश से आये नागरिकों ने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री प्रशासन को क्यों नही बताई। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच इस धार्मिक कार्यक्रम को रद्द क्यों नही किया गया।
अब देखना होगा कि दिल्ली पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है। साथ ही सबकी नजरें इसपर भी है कि इस कार्यक्रम में शामिल लोगों में से कितने लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए जाते हैं।