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क्या देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है ?
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कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में हर्ड इम्युनिटी की अटकलों को खारिज कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने गुरुवार को साफ कर दिया कि भारत की आबादी को देखते हुए हर्ड इम्युनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) रणनीतिक विकल्प नहीं हो सकती है।

हर्ड इम्युनिटी अभी दूर है और भारत जैसा विशाल देश वैक्सीन के बगैर इसे हासिल करने की स्थिति में नहीं है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की मानें तो वैक्सीन के पहले कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए टेस्टिंग ही एकमात्र उपाय है।

देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं

यही नहीं मंत्रालय ने देश में कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने की आशंका से भी इनकार कर दिया। मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि जब तक कोरोना वायरस का टीका नहीं बन जाता तब तक इस संबंध में उचित आचार-व्यवहार का पालन करना होगा।

राजेश भूषण से जब पूछा गया कि क्या भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी विकसित हो रही है तो उन्होंने जवाब दिया कि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारी से परोक्ष बचाव का एक तरीका है।

हर्ड इम्युनिटी की बात गलत

राजेश भूषण के अनुसार, हर्ड इम्युनिटी वह स्थिति होती है जब किसी समाज में अधिकांश लोग में वायरस की प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है। यह दो तरीके से हो सकता है। एक तो वायरस के फैलने के साथ-साथ लोगों में यह प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती जाती है और दूसरा तरीका वैक्सीन के माध्यम से इसे विकसित करने की है। राजेश भूषण ने कहा कि भारत जैसे 138 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में बिना वैक्सीन के स्वाभाविक रूप से सभी अधिकांश लोगों में प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) बनने देने की बात सोची भी नहीं जा सकती है।

उन्‍होंने कहा कि हर्ड इम्युनिटी के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। बड़ी संख्या में लोग कोरोना से बीमार होंगे और अस्पतालों में उनके लिए व्यवस्था करना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इससे देश में स्वास्थ्य की पूरी आधारभूत संरचना ही चरमरा जाएगी।

हर्ड इम्युनिटी के बारे में हम सोच भी नहीं सकते हैं। राजेश भूषण के अनुसार, दिल्ली और मुंबई जैसे कुछ स्थानों पर कोरोना के नए मामलों की कमी के आधार पर हर्ड इम्युनिटी की बात करना सही नहीं होगा। यहां नए मामलों की कमी की वजह अधिक संख्या में टेस्टिंग भी है।

टेस्टिंग ही एकमात्र तरीका

उन्होंने कहा कि वैक्सीन आने के पहले कोरोना को फैलने से रोकने के लिए टेस्टिंग ही एकमात्र तरीका है और सरकार इसी पर जोर दे रही है। उन्होंने आंकड़ों के सहारे बताया कि केवल जुलाई महीने में अब तक लगभग एक करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं।

जबकि 30 जून तक कुल 81 लाख टेस्ट हुए थे। देश में अभी हर दिन लगभग पांच लाख टेस्ट हो रहे हैं, जिसे अगले कुछ दिनों में 10 लाख टेस्ट प्रतिदिन तक करने का लक्ष्य है। राजेश भूषण के अनुसार, भारत सरकार पूरी दुनिया में वैक्सीन पर हो रहे अनुसंधान पर नजर रखे हुए है।

वैक्‍सीन के लिए भारतीय कंपनियों पर भरोसा

राजेश भूषण ने बताया कि अभी केवल अमेरिका की मॉडर्ना कंपनी की वैक्सीन, ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैक्सीन और चीन की एक वैक्सीन का तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा 24 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के पहले और दूसरे फेज में हैं, जिनमें भारत की दो वैक्सीन शामिल हैं।

वहीं 141 वैक्सीन प्री-क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में हैं। इसके अलावा भारत में वैक्सीन उत्पादन की सबसे अधिक क्षमता होने के कारण दुनिया के कई वैक्सीन निर्माता भारतीय कंपनियों के साथ समझौता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीन की पर्याप्त और सुलभ उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है।

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