Breaking news
Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  


चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और 29 दिनों तक बिना कैबिनेट के सरकार चलाने का रिकार्ड बनाने के बाद आखिरकार शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमण्डल का गठन कर लिया। उन्होंने पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा मिश्रा समेत चार मंत्रियों के विभाग का बंटवारा भी कर दिया।

डॉ नरोत्तम मिश्रा को गृह के साथ-साथ लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का भार सौंपा, वहीं कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री रहे तुलसी सिलावट को जल संसाधन का प्रभार सौंपा। इसी तरह कमल पटेल को किसान कल्याण तथा कृषि विकास और कांग्रेस से भाजपा में आये पूर्व मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत को खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, सहकारिता, जबकि मीना सिंह मांड़वे को आदिम जाति कल्याण।

मुख्यमंत्री ने अपनी टीम में ब्राह्मण, क्षत्रीय, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के एक-एक सदस्य को जगह दी है। शिवराज सिंह चौहान की चुनौती यही समाप्त नहीं हुई, बल्कि जानकार यह कहने लगे, कि भाजपा में अब शिवराज सिंह चौहान की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है।

मुख्यमंत्री शिवराज की 5 सदस्यीय जिस मिनी केबिनेट में क्षेत्रीय एवं् जातीय संतुलन साधने की कोशिश तो हुई, लेकिन गुटीय संतुलन को नजरंदाज किया गया है। दूसरी तरफ भाजपा में पंद्रह साल से ताकतवर मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट में जिन पांच विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, उनमें एक भी उनका अपना खास नहीं। यह संकेत भाजपा में नए राजनीतिक समीकरण बनने की ओर इशारा कर रहे हैं।

कमल पटेल भाजपा में कभी शिवराज सिंह के विरोधी के तौर पर उभरे थे। अवैध उत्खनन को लेकर उन्होंने शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा किया था, लेकिन वे मंत्री बनने में सफल रहे। सूत्र बताते हैं, पटेल सीधे मोदी-शाह के कहने पर मंत्री बने। इसी तरह गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री पद का दावेदार होता है। भार्गव का पहले मंत्रिमंडल में न होना चकित करने वाला है।

मंत्रिमण्डल में शामिल नहीं किये जाने पर गोपाल भार्गव सागर में ही रहे । उन्होंने ऐसा संकेत दिया है, कि वे एक-दो दिन में बड़ी सियासी घोषणा कर सकते हैं । इसे भाजपा के अंदर बन रहे नए राजनीतिक समीकरणों के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रदेष में जब भी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा चली

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास पांच पूर्व मंत्रियों के नाम चर्चा में जरूर रहे। जैसे- पूर्व गृह व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह, पूर्व कृषि व सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन, पूर्व ऊर्जा एवं खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ला, पूर्व आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह तथा पूर्व पीएचई मंत्री रामपाल सिंह । पर इन पांचों में से एक को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सका। जानकारों का कहना है, बागियों की वैशाखी के सहारे सरकार बनी है तो इस तरह के समझौते शिवराज को ही करना पड़ेंगे।

मंत्रिमंडल में पहले नंबर पर शपथ लेने वाले नरोत्तम मिश्रा की गिनती पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है। कांग्रेस सरकार गिराकर भाजपा को सत्ता में लाने चलाए गए ‘आपरेशन लोटस’ अभियान में उनकी खास भूमिका रही है। बताया जाता है, कि नरोत्तम अमित शाह के खास हैं। उन्हें ईनाम मिलना ही था। पहले नंबर पर शपथ लेने के साथ वे सरकार में नंबर दो भी बन गए। उमरिया जिले की मीना सिंह आदिवासी महिला हैं। पांच बार चुनाव जीत चुकी हैं।

इस अंचल के बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं लेकिन मौका मीना को मिला। मीना सिंह को संघ एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के कोटे का माना जाता है। इनकी सिफारिश पर वे मंत्री बनने में सफल रहीं। ऐसा कर भाजपा नेतृत्व ने संकेत देने की कोशिश की, कि अब नए चेहरों को मौका देने का समय आ गया। अब वे ही मंत्री नहीं बनेंगे जो हमेशा बनते रहे।

ज्योतिरादित्य के सामने चुनौती

मिनी कैबिनेट को देखकर ऐसा लगता है, कि कांग्रेस से 22 विधायक लेकर भाजपा में आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी झटका लगा है। आखिर, उनके समर्थन में त्याग-पत्र देने वाले विधायकों को 6 माह के अंदर उप चुनाव का सामना करना है। गौर करने वाली बात यह भी है कि उनके समर्थक सबसे ज्यादा विधायक चंबल-ग्वालियर अचंल से हैं। इस अंचल से उनका अपना एक भी विधायक मंत्री नहीं बन सका।

सबसे ज्यादा 16 सीटों के लिए उप चुनाव इसी अंचल से होना है। इमरती देवी ने सोमवार को ही कहा था कि वे 24 अप्रैल को मंत्री बनने वाली हैं। मंत्री बनने से वंचित रह गए सिंधिया समर्थक फिलहाल निराश हैं और वे कुछ कह पाने की स्थिति में भी नहीं हैं।

बहरहाल, शिवराज के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 29वें दिन काम चलाऊ मिनी केबिनेट बनाकर उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नाम का रेकार्ड तोड़ा। येदियुरप्पा ने 26वें दिन कैबिनेट का गठन किया था । इसके अलावा षिवराज सिंह चौहान तीसरी बार मुख्यमंत्री बनकर दिग्विजय सिंह का रेकार्ड भी तोड़ा था

Leave comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *.