शिक्षामित्रों के मामले में SC का राज्य सरकार को नोटिस, 14 जुलाई तक जवाब मांगा
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों की अपील पर आज सुप्रीम कोर्ट ने में सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल एवं अन्य वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार एवं अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। इसके जवाब के लिए 14 जुलाई तक का समय दिया गया है।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने याचिका कर्ता ‘उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज करने का मौखिक आदेश सुना दिया, लेकिन कुछ न्यायिक पहलुओं पर ध्यान दिलाए जाने के बाद सुनवाई फिर शुरू हुई। कोर्ट ने यह भी कहा है कि शिक्षा मित्र जो सहायक शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं उनको छेड़ा न जाए। न्यायालय ने राज्य सरकार को निदेर्श दिया कि वह छह जुलाई तक रिक्तियों का चार्ट न्यायालय को सौंप दे।
कुछ शिक्षा मित्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने दलीलें देनी शुरू की। उन्होंने शिक्षा मित्रों की परिभाषा और कार्य प्रणाली बताई। उन्होंने उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ के फैसलों की कानूनी बारीकियां कोर्ट को बताईं। दवे ने याचिकाकर्ता शिक्षामित्र संजीव तिवारी की ओर से दलील दी।
उन्होंने अपने मुवक्किल के पिछले डेढ़ दशक से पढ़ाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के विज्ञापन में कटऑफ का ज़िक्र नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने मेहता से पूछा कि मेरिट के नाम पर भारांक और अन्य नियम क्यों बदले गए? उन्होंने कहा कि वह कल इसके बारे में सरकार से दिशानिदेर्श लेकर अदालत को बताएंगे।
इसके बाद न्यायालय ने कहा कि हम फिर सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं। हम ये भी देखेंगे कि नियुक्ति प्रक्रिया के नियम परीक्षा से पहले या बाद में बदलना कितना सही या गलत है।” इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने दलील दी कि परीक्षा के परिणाम 4० और 45 फीसदी के मेरिट के आधार पर ही फिर से मूल्यांकित किए जाएं। इस पर मेहता ने कहा कि ये लोग प्रतिभाशाली उम्मीदवारों पर कम प्रतिभा वालों का कब्जा चाहते हैं।
इसके बाद न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य को नोटिस जारी किए और उसके जवाब के लिए 14 जुलाई की तारीख मुकर्रर की। राज्य सरकार यह बताएं कि 45 फीसद सामान्य और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी के आधार को क्यों बदला गया? कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार छह जुलाई तक चार्ट के ज़रिए भर्ती के सारे चरण और डिटेल बताए।
आपको बता दें कि वकील गौरव यादव की ओर से दायर इस याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने या उसे रद्द करने की मांग की गई थी। इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से शीर्ष अदालत में एक कैविएट दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत उसका पक्ष सुने बिना इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कोई आदेश जारी न करे। इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अपना फैसला सुनाया था।
उसके बाद राज्य में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर होने वाली भर्ती लटकी हुई थी। ऐसा कटऑफ मार्क्स से संबंधित विवाद के कारण था। इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही बताया था। इसके अलावा इस भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश भी दिया है।