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उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरेश खन्ना ने राहुल गांधी पर प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता के नजरिये में ही खोट है। उनको गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठाने के पहले पीठ का इतिहास पढ़ना चाहिए। यह देश की उन चुनिंदा पीठों में है जो खुद में सामाजिक समरसता की मिसाल है। यह समाज को जोड़ती है।

श्री खन्ना ने कहा कि समाज में नफरत फैलाना एवं बांटो और राज्य करो तो कांग्रेस की पुरानी नीति रही है। आपको (राहुल गांधी) इससे इतर कुछ सूझता ही नहीं है। आपको याद दिला दें कि मीनाक्षीपुरम के धर्मांतरण की घटना की पुनरावृत्ति उत्तर भारत में न हो, इसके लिए योगीजी के पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ ने वाराणसी में संतों के साथ डोमराजा के घर भोजन किया था। दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों राम मंदिर के भूमिपूजन की पहली ईंट उनके ही प्रयासों से संभव हुआ था।

समाज को जोड़ने के लिए वह भगवान श्रीराम को अपना आदर्श मानते थे। उस राम को जिन्होंने निषाद राज को गले लगाया। गिद्ध राज का अंतिम संस्कार अपने हाथों किया। शबरी के जूठे बेर खाए। वनवास के दौरान कोल-भीलों से दोस्ती की। समाज को जोड़ने के लिए सामूहिक सहभोजों का सिलसिला चलाया। उनके उत्तराधिकारी के रूप में यही काम योगीजी ने भी किया। अब मुख्यमंत्री के रूप में वह वही काम व्यापक फलक पर कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि उनके ही परिवार के एक सदस्य ने कहा था कि केंद्र से विकास का जो पैसा चलता है उसका 15 फीसद ही पात्रों को मिलता है। अब ऐसा नहीं होता। विकास की योजनाओं के लाभ की एक मात्र कसौटी है, पात्रता। अगर आप पात्र हैं तो बिना किसी भेदभाव उसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ये बातें राहुल को नहीं दिखेंगी। दिखेगा वही जो कांग्रेस की परंपरा रही है। तुलसीदास ने आप ही जैसे लोगों के लिए लिखा है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरति देखहिं तीन तैसी।’

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