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क्या 15 महीने बाद मध्य प्रदेश में खिलेगा कमल?
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मध्य प्रदेश में सियासी घटनाक्रम तेज हैं और बीजेपी, कांग्रेस दोनों की तरफ से पासे पर पासे फेंके जा रहे हैं। राज्यपाल के आदेश के मुताबिक सोमवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना था लेकिन विधानसभा स्पीकर ने 26 मार्च तक कोरोना वायरस के चलते सदन की कार्यवाही रोकने का फैसला ले लिया। इसके बाद बीजेपी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। आज इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

दूसरी तरफ राज्यपाल लालजी टंडन ने तीसरी बार मध्य प्रदेश सरकार और स्पीकर को पत्र लिखकर कहा कि मंगलवार को फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। इस लिहाज से आज का दिन बेहद अहम है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और मध्य प्रदेश में होने वाली हलचल पर नजर बनी रहेगी।

सीएम कमलनाथ का कहना है कि उनकी सरकार अल्पमत में नहीं है। हालांकि, फिर भी वह फ्लोर टेस्ट कराने से बच रहे हैं। उधर बीजेपी फ्लोर टेस्ट के लिए पूरा जोर लगा रही है। आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई और फैसले से पता चलेगा कि राज्यपाल का आदेश भारी होगा या कमलनाथ सरकार का फैसला। जाहिर है कि अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ तो कमलनाथ सरकार के गिरने में देर नहीं लगेगी।

देर रात सीएम कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी चाहे तो अविश्वास प्रस्ताव लाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास बहुमत है इसलिए वह फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार नहीं हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि वह फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं। इस तरह वह फ्लोर टेस्ट को टालने की कोशिश में लगे हुए हैं।

राज्यपाल तीन बार कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दे चुके हैं लेकिन वह आदेश मानने को तैयार नहीं हैं। सोमवार को फिर से वह राजभवन पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर कोई यह कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं है तो वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। मुझे क्यों फ्लोर टेस्ट देना? कमलनाथ ने कहा कि 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है और उन्हें समाने आना चाहिए।

कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की और कहा कि वह संविधान के दायरे से बाहर नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं उनके अभिभाषण के लिए धन्यवाद देने गया था।’ सोमवार को भी राज्यपाल से मिलने के बाद उन्होंने यही कहा था कि राज्यपाल ने उनसे सिर्फ सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से चलाने की बात कही है।

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