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कैसे हुआ 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े का खुलासा
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यूपी में 69000 शिक्षक सहायक भर्ती की टॉपरों की सूची में कुछ ऐसे नाम थे, जिन पर हजारों अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए थे। 150 नंबर में 140 अंक तक पाने वालों में कोई गाड़ी चालक तो कोई डीजे वाला बाबू बताया गया।

शिकायत मिली तो प्रयागराज के कप्तान सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज,अशोक वेंकटेश और अनिल यादव जैसे तीन आईपीएस लगे तब इस फर्जीवाड़ा करने के रैकेट का खुलासा हो सका।

पुलिस अफसरों ने सर्विलांस समेत अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। सीबीआई के तरीके से आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। छापेमारी में आईपीएस के होने के कारण किसी पर कोई सवाल नहीं उठा। डॉक्टर और लेखपाल को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

कार्रवाई तेजी से हुई और फर्जीवाड़े की कहानी सामने आ गई। अब इस केस की जांच एसटीएफ को दे दी गई है। ऐसे में एसटीएफ के सामने बड़ी चुनौती है। अभी इस गैंग में शामिल स्कूल प्रबंधक, सॉल्वर, दलाल और आरोपी अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी बाकी है।

69000 सहायक शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थी डॉ. कृष्ण लाल पटेल के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने का आरोप तो लगा रहे थे, लेकिन कोई तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज कराने को तैयार न था। जिन अभ्यर्थियों से इस गैंग के सदस्यों ने लाखों रुपए वसूला था, वह भी डर के मारे सामने नहीं आ रहे थे।

4 जून को जब प्रतापगढ़ के एक अभ्यर्थी राहुल सिंह ने एसएसपी से संपर्क किया तो तत्काल कार्रवाई शुरू हो गई। एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने राहुल की तहरीर पर सोरांव थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

एसएसपी ने शिक्षा जगत की बुनियाद में सेंध लगाकर ईमानदार, परिश्रमी अभ्यर्थियों का हक मारने वाले माफियाओं का तंत्र ध्वस्त करने के लिए एएसपी अशोक वेंकटेश और अनिल यादव को लगाया। कुछ ही घंटे में परिणाम आने शुरू हो गए।

शुरुआत में ही पुलिस ने एक कार से जा रहे छह संदिग्धों को साढे सात लाख रुपए के साथ हिरासत में ले लिया। पुलिस अफसरों ने सीबीआई की तरह गैंग में शामिल डॉ. कृष्ण लाल पटेल, स्कूल संचालक ललित त्रिपाठी और लेखपाल संतोष बिंदु को हिरासत में लेकर पूछताछ की और 22 लाख से अधिक कैश बरामद कर लिया।

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